1. Composition of Vishnu Purana // विष्णु पुराण की रचना
2. Cremation of Karna // कर्ण का दाह संस्कार
Vedvyas, the author of Mahabharata, was the son of Maharishi Parashar. In the Mahabharata, he has written that Maharishi Parashara had cremated the dead body of Danveer Karna on a palm in the middle of the mountain of Khoh. Karna had a boon that his dead body should not be burnt on earth as he was the son of Lord Surya. Behind the present Parashar’s ashram, the mountain is burnt in the middle, the remains of which can be seen even at present.
महाभारत के रचयिता वेदव्यास महर्षि पराशर के पुत्र थे। महाभारत में उन्होंने लिखा है कि महर्षि पाराशर ने खोह के पर्वत के मध्य हथेली पर दानवीर कर्ण के शव का दाह संस्कार किया था। कर्ण को यह वर था कि उनका शव दाह भगवान सूर्य के पुत्र होने के कारण पृथ्वी पर न हो। वर्तमान पाराशर के आश्रम के पीछे पहाड़ बीच में जला हुआ है, जिसके अवशेष वर्तमान में भी देखने को मिलते हैं।
3. Banyan Tree Roots // वट वृक्ष की जडें
The banyan tree at the site of the demon-killer yagya is no more, but the roots of one hundred banyan trees are still present, where the demon-killer yagya was performed. The grand temple Parashar Dham has been built near the ancient waterfall falling from the mountain and the stream flowing from the pool. Rituals are held here in the month of Ashtami, Ekadashi, Purnima and Sawan.
राक्षस नाशक यज्ञ स्थल का वट वृक्ष नहीं रहा किन्तु एक सौ वट वृक्षों की जडें आज भी मौजूद हैं, जहां राक्षस नाशक यज्ञ किया था। प्राचीन झरना पहाड़ से गिरता व कुण्ड से प्रवाहित जलधारा के समीप भव्य देव मन्दिर पाराशर धाम बना हुआ है। यहां अष्ठमी, एकादशी, पूर्णिमा व सावन मास में अनुष्ठान होते रहते हैं।